शादी कब होगी इस प्रश्न का उत्तर ज्योतिष की सहायता से आसानी से जाना जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार व्यक्ति के जीवन में होने वाली प्रत्येक घटना का संबंध ग्रह नक्षत्रों के प्रभाव एवं कर्मों की अवधारणा द्वारा ही संभव होती है। शादी विवाह से जुड़े प्रश्नों को जन्म कुंडली अनुसार समझा जा सकता है जिसमें कुंडली के कुछ विशेष भाव–ग्रह अपनी अग्रीण भूमिका में होते हैं। किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में सातवां भाव व्यक्ति के वैवाहिक जीवन से संबंधित सुखों को बताता है। कुंडली में विवाह संबंधित भाव ग्रहों का विश्लेषण करके, ग्रह एवं दशा गोचर की स्थिति को देख कर शादी की उम्र के बारे में तो जान सकते ही हैं और साथ ही आपका जीवन साथी कैसे गुणों वाला होगा इन बातों को भी आसानी से जाना जा सकता है।

और इस भाव को दारा भाव भी कहा जाता है अर्थात जीवनसाथी का भाव और इस भाव की शुभता अशुभता का प्रभाव विवाह के बारे में जानकारी देने वाला होता है। कुछ विद्वान शादी के बारे में जानकारी के लिए सातवें भाव का विश्लेषण करते हैं जो उचित है लेकिन इस भाव को ही निर्णय के लिए मुख्य मान लेना उचित नहीं होगा। विवाह के लिए सातवां भाव, पंचम भाव, दूसरा भाव, आठवां भाव, बारहवां भाव वर्ग कुंडलियों में नवमांश कुंडली, सप्तमांश कुंडली, षष्टियांश कुण्डली इत्यादि पर भी विचार करने की आवश्यकता होती है।

लग्न कुंडली के अलावा भी अन्य कुंडलियों का विश्लेषण करते हुए शादी के समय की भविष्यवाणी करना संभव होता है। शादी से संबंधित हर प्रकार का प्रश्न कि शादी में देर क्यों हो रही है, शादी शादी कब होगी, शादी में सुख कैसा रहेगा, शादी के पश्चात संतान सुख कैसा होगा, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में शादी कैसे आपको प्रभावित कर सकती है इस तरह के तमाम प्रश्नों के उत्तर ज्योतिषीय परामर्श द्वारा जाना जा सकता है।

कुंडली से कैसे जानें देर से शादी होने के कारण?

शादी में देरी के कई कारण हो सकते हैं जो ऊपरी रूप में तो हमें दिखाई देते हैं लेकिन उनका भीतरी पक्ष हम देख नहीं पाते हैं। जैसे कि कई बार नौकरी–करियर में अच्छे से स्थापित होने के बाद शादी करने का विचार देरी बना जाता है, रिश्ते का बार बार टूट जाना, या फिर पसंद के अनुसार रिश्ता नहीं मिल पाना देरी बनाता चला जाता है या फिर इस तरह के तमाम उदाहरण देखने को मिल सकते हैं जिसके कारण विवाह में देरी होने लगती है। यह ऊपरी बातें तो दिखाई देती हैं लेकिन जब बात आती है इसके भीतर झांकने की तो इसका उत्तर हमें ज्योतिष में मिलता है क्योंकि कई बार कुंडली में ऎसे योग बन रहे होते हैं जो शादी में देरी का कारण बन रहे होते हैं।

कुंडली में बनने वाले अशुभ योग, विवाह विलंब योग, मांगलिक योग, लग्न कुंडली में ग्रह अनुकूल लेकिन नवांश कुंडली में बलहीन, विवाह से संबंधित भावों की निर्बलता, पाप ग्रहों का प्रभाव इत्यादि बातें वो सूक्ष्म नजरिया है ज्योतिष का जो हमें बताता है की आखिर किन कारणों से हमारे विवाह में देरी/Late Marriage हो रही है।

देर से शादी होने के कारण में लग्न कुंडली में सप्तम भाव की निर्बलता देरी बनाती है कुंडली में सप्तम भाव और सप्तम भाव के स्वामी का अष्टम भाव से संबंध दूसरे भाव से संबंध अथवा बारहवें भाव से संबंध विवाह में देरी का संकेत देता है।

कुंडली में शादी के कारक ग्रह बृहस्पति और शुक्र का कमजोर या पाप प्रभाव में होना विवाह भाव पर शनि जैसे पाप ग्रह का असर होना विवाह में विलंब का कारण बन सकता है।

नवांश कुंडली में सप्तम भाव और सप्तमेश का अष्टम भाव से संबंध अथवा पाप ग्रहों से प्रभावित होना। यह कुछ सामान्य बातें हैं जो शादी में होने वाली देरी को दिखाती हैं।

कैसे पता करें कि आपकी शादी किस उम्र में होगी और कब होगी?

जन्म कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति के द्वारा शादी की उम्र के बारे में जाना जा सकता है। इसके साथ साथ शादी की तिथि माह इत्यादि के बारे में भी जान पाना संभव होता है। एक सामान्य सिद्धांत के अनुसार लग्न और सप्तम भाव की ओर जब ग्रहों का जमावड़ा गोचर समय लग रहा होता है तो यह समय विवाह होने की संभावनाओं के लिए अनुकूल माना जाता है। ग्रहों के गोचर की स्थिति सप्तम भाव अथवा लग्न के पास या भाव पर ही बन रही होती है तो इससे संबंधित भाव घटनाएं घटित होती हैं।

शादी किस उम्र में होगी इसके लिए जरुरी है की लग्न कुंडली के सातवें भाव और सातवें भाव के स्वामी की स्थिति को देख कर इस बारे में जान सकते हैं। अगर सातवें भाव में गुरु शुभ रूप से दृष्टि दे रहा हो तो ऐसी स्थिति में विवाह जल्द होने की संभावनाएं होती हैं 21 वर्ष से 25 वर्ष के भीतर व्यक्ति का विवाह हो जाता है लेकिन ध्यान रखें की सप्तम भाव और उसका स्वामी भी अनुकूल स्थिति में हो और कोई पाप प्रभाव उसे पीड़ा न दे रहा हो। सातवें भाव में शुक्र, चंद्र और बुध का होना विवाह को कम उम्र में देने वाली स्थिति को बनाता है।

कुंडली अगर सप्तमेश निर्बल हो, शनि की दृष्टि या स्थिति का प्रभाव हो। कोई अशुभ योग सातवें भाव में बन रहा है। मांगलिक योग प्रबल रूप से बना हो तब इस स्थिति के कारण विवाह तीस वर्ष के बाद की स्थिति का कारण बनता है। शादी में विलंब का योग बनता है।

मेरी जन्म कुंडली भावी जीवन साथी के बारे में क्या बताती है

आपकी जन्म कुंडली आपके जीवन साथी के बारे में सभी बातों की जानकारी देती है। आप कुंडली की मदद से जान सकते हैं कि आप का जीवन साथी कैसा होगा, उसकी पसंद नापसंद, आपके साथ उसके संबंध कैसे रहेंगे।आप दोनों अपने वैवाहिक जीवन का आनंद कैसे ले पाएंगे, आपके जीवन साथी का व्यवहार उसके गुण दोष सभी कुछ जन्म कुंडली विश्लेषण से जान पाना संभव है। लेकिन इन सभी बातों और भावी जीवन साथी की जानकारी आपको तभी हो सकती है जब आप सही ज्योतिषीय परामर्श लेते हैं।

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